HS CODE

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क्या है HS Code ?

एक व्यापारी दूसरे देशों में अपने माल को Export करके अपने व्यापार को बड़े स्तर तक पहुँचा सकता है।
लेकिन शुरुआती समय में Exporters अक्सर अपने माल का एक्सपोर्ट करते समय कई बातों और जानकारियों से अंजान रहते हैं।
इस आर्टिक्ल में हम उन्हीं बातों में से एक HS Code के बारे में बात करेंगे जिसकी ज़रूरत Export करने के समय होती है।
तो चलिये जानते हैं कि आख़िर HS code क्या होता है और Exporters को इसकी ज़रूरत कब और क्यों होती है।

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क्यों होती है HS Code की ज़रूरत

दरअसल HS code से Export-Import बिज़नेस बहुत ही सरल हो जाता है। इसी कोड के माध्यम से विदेशों में निर्यात होने वाली सभी प्रकार की वस्तुओं को ग्लोबल स्तर पर वर्गीकृत किया जाता है यानि Category wise उन्हे दर्शाया जाता है। हर प्रॉडक्ट का अपना एक अलग HS Code होता है जिससे Importers और Exporters दोनों को कोड के माध्यम से प्रॉडक्ट की जानकारी आसानी से हो जाती है।

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Export में कैसे काम आता है HS Code ?

अब तक आपने ये समझ लिया कि आपको अपने प्रॉडक्ट का HS code कैसे पता चलेगा तो अब ये भी जान लीजिये कि एक्सपोर्ट में ये कोड कैसे काम आता है।
मान लीजिये आप एक निर्यातक है और आपका कुर्सियों का व्यापार है। इंडिया में उसे कुर्सी बोला जा रहा है लेकिन जापान में कुर्सी को (चिन-चिन) बोला जा रहा है लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि हर तरह की कुर्सी का भी अलग HS कोड होगा जैसे (प्लास्टिक की कुर्सी, लकड़ी की कुर्सी आदि) अब अगर जापान के आयातक आपको कुर्सी का ऑर्डर देगा तो वो आपसे (चिन-चिन) माँगेगा लेकिन भाषा में अंतर होने की वजह से आपको समझ नहीं आएगा कि खरीदार आपसे क्या मांग रहा है और वो किस प्रकार की कुर्सी की डिमांड कर रहा है। ऐसी स्थिति में दोनों के लिए HS code बहुत काम आता।
HS Code ही वो माध्यम है जिससे दूसरे देश के व्यापारियों को आपके द्वारा बेचे जा रहे माल के बारे में पूरी जानकारी और उसकी ख़ासियत व विनिर्देशों के बारे में आसानी से पता चल जाएगा और व्यापारी को आपके माल को समझने व उसे खरीदने में आसानी हो जाएगी।

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कितने अंकों का होता है HS Code ?

HS Code एक प्रकार का आठ अंकों का पहचान कोड होता है जिसमें पहले दो अंक HS Chapter को बताते हैं अगले दो अंक HS Heading को उसके बाद के दो अंक HS Sub Heading को बताते हैं और अंतिम दो अंक Product Category बताते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि इस कोड का इस्तेमाल करना क्यों ज़रूरी है, इससे Exporter को क्या फ़ायदा होता है?

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समझिए HS Code के अंकों का मतलब

आयात-निर्यात को आसान बनाने के लिए ही HS Code का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार अपने प्रॉडक्ट के अनुसार निर्यातक को इस कोड को समझने में मुश्किल होती है तो चलिये उसे भी समझ लेते हैं।
यहाँ भी एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं, जैसे कोई व्यापारी अनाज का एक्सपोर्ट करता है और उसका कोड है 1102 90 21 तो इसमें पहले दो अंक यानि 11 का मतलब चैप्टर हुआ, उसके बाद 02 का मतलब वो अनाज को दिखाएगा उसके बाद का 90 नंबर उसकी सब कैटेगरी को दिखाएगा कि वो अनाज (चावल है या आटा) और आखिरी का 21 नंबर ये दर्शाएगा कि अगर वो चावल है तो किस प्रकार का चावल है (White Rice है या Brown Rice)।
इस तरह से व्यापारी अपने द्वारा निर्यात किए जाने वाले प्रॉडक्ट का HS कोड चुन लेता है ।

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Product का HS Code कैसे पता करें ?

आपको बता दें इसके लिए आपको ज़्यादा कुछ करने की ज़रूरत नहीं होती है और न ही इसके लिए आपको कहीं अप्लाई करना होता है। एक Exporter को निर्यात करते समय अपने प्रॉडक्ट के हिसाब से उसका HS कोड पता होना चाहिए।
HS code के लिए आपको Central Board of Indirect Taxes & Customs की आधिकारिक वेबसाइट cbic.gov.in पर जाना होता और वहाँ Custom Tarrif के ऑप्शन को Select करना होता है। यहाँ आपको HS code के 1 से लेकर 98 तक सारे चैप्टर हैं जिसमें आप अपने प्रॉडक्ट के अनुसार HS Code देख सकते हैं।
Exporters को बस उनमे से अपने प्रॉडक्ट के हिसाब से अपना कोड चुनना होता है।
उदाहरण के तौर पर जैसे किसी Exporter का कालीन यानि Carpet का बिज़नेस है तो उसे कालीन का जो HS Code होगा उसे चेक करना होगा लेकिन इस बात का ख़ास ध्यान रखने की ज़रूरत है कि किसी भी प्रॉडक्ट के साथ साथ उसको बनाने में लगने वाले हर सामान को अलग अलग कैटेगरी के अंतर्गत रखा जाता है। जैसे कालीन का अलग HS कोड होगा और कालीन को बनाने वाले का अलग HS कोड होगा।
इसी तरह से हर सामान, हर प्रॉडक्ट का अपना अलग HS Code होता है। जैसे सब्जियों का कोड 07 है, फलों का कोड 08 है, खाने वाले मसालों का 09 है।
हम उम्मीद करते है कि इस आर्टिकल के माध्यम से आपको HS Code के बारे में आसानी से समझ आया होगा।